
नवरात्रि हिंदू धर्म में मनाए जाने वाला एक बहोत बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार 9 दिनों तक चलता है। इस साल में नवरात्री 7 अक्टूबर 2021 से 15 अक्टूबर 2021 तक है। इस त्यौहार हर साल में लाखो लोग मनाते हैं। गुजरात नवरात्री एक अनेरा महोल के साथ मनाया जाता है।
नवरात्रि शब्द नव+रात्रि दो शब्दो का मिलन होकर बनाता है। नवरात्रि वसंत ऋतु में उतर भारत सबसे ज्यादा मनाया जाता हैं। गुजरात और मुंबई में रात को गरबा नृत्य किया जाता है। वह बहोत प्रसिद्ध है। गुजरात का गरबा पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है। बंगाल में नवरात्रि में दुर्गा पूजा करते हैं जो पूरे साल बड़ा त्यौहार मनाया जाता है। कोई कन्या नवरात्रि सिक्का देती है वह सुभ माना जाता है।

नवरात्रि हर माता नव रूप को दर्शाती है। जिनका नाम दुर्गा, बद्रकाली, अंबा, जगदम्बा, अन्नपुना, सर्वमंगला, भैरवी, चंदिका, ललिताभवानी और मुक्मरिका है। इन दिनों में आपको सपने सफेद साप दिखाई देता है वह बहुत सूभ माना जाता और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि त्यौहार नव रात और दश दिन के दौरान देवीओ की रूपो की पूजा की जाती है। दश वा दिन विजयादशमी (दशेरा) के नाम से प्रसिद्ध है।
नवरात्रि में गरबा केसे मनाए जाते है ?
गरबा का नाम संस्कृत शब्द गर्भा और दीप से आया है जिसे गर्भदीप कहा जाता है। मिट्टी का मटका के अंदर रखा दीप को गरबा कहा जाता हैं।
गरबा की शुरुआत में महिलाए आपने शर पर छोटा मटका रखती थी। इस मटके के साथ महिलाए एक साथ चक्कर में रस करते है। इस मटके में चांदी का सिक्का और सुपारी भी रखी जाती थी। मटके के ऊपर नारियल रखा जाता था।

आज कल गरबा करने का तरीका काफी बदल गया है। अब गरबा को बीच में रखकर चारो तरफ चक्कर में गरबा करते है। गरबा रास मां दुर्गा के सम्मान में भी किया जाता है। इसलिए नवरात्री में नो दिनों देवी सक्ति की पूजा के साथ गरबा रास भी किया जाता है।
गरबा को स्वभाग्य का प्रतीक माना जाता है और नवरात्री के पहेली रात्रि को गरबा की स्थापना की जाती है। इसमें चार दिए जलाए जाते है। उनके चारो तरफ ताली बजाकर घुमा जाता है।
आज के दिनों में रास का दो प्रकार हो गए है। एक मॉर्डन और दूसरा ट्रेडिशनल है। मॉर्डन गरबा दांडीया रास गरबा मुख्य है। इसलिए यह ज्यादा खेलने वाला गरबा बन गया है। जिसमे गरबा खेलने वाले पूरी ऊर्जा के साथ लोग आते है।

गरबा रास के मॉर्डन रूप ने जवानों को आपनी तरफ आकर्षित कर लिया है। इसलिए महिला, पुरुष और बच्चे भी गरबा रास का आनंद नो दिनों तक भरपूर उठाते है। शाम से सुरु हुई गरबा रात देर रात तक रहती है।
गरबा रास भारतनाट्यम और ओडिशा से काफी मिलता जुलता है। दाडिया रास की शुरुआत वृंदावन से हुई थी।
गुजरात का गरबा पुरी दुनिया में प्रसिद्ध है हर कोई गरबा को बड़े उत्साह से मनाते है। अमेरिका में 20 से ज्यादा University गरबा की स्पर्धा की जाती है। यूनाइटेड किंगडम और केनेडा में गरबा पूरे उत्साह से मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में माना जाता है कि समय एक चक्र में चलाता रहेता है। जिसमे जन्म होता है मुर्त्यु होता है फिर से जन्म होता है इस तरह समय का चक्र चलता है। जो सिर्फ देवी सक्ति है को कभी बदलती नही है। इसलिए देवी सक्ति के प्रतीक को बीच में रखा जाता है।

गरबा खेलने ने लिए पहनावा में महिलाए रंग बे रंगीन चणीया चोणी पहनते हैं। पुरुष गरबा खेलने के लिए रंगे बे रंगीन केडीयू पहनते हैं।
गरबा खेलने की शुरुआत धीमा संगीत से की जाती है। जो देखते ही देखते तेज़ हो जाता है।
ये गरबा रास भारत के सभी राज्यों में धूम धाम से मनाया जाता है।
हम नवरात्रि क्यों मनाते हैं ?
नवरात्री एक कथा प्रसिद्ध है
संसार लंका युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण पद के लिए चंडी देवी का पूजन कर दीविको प्रसन करने को कहा। विधि के अनुसार चंडी पूजन के लिए और हवन के लिए दुरलभ 108 नील कमल के फूल की व्यवस्था भी कर दी।
दूसरी ओर रावण ने अमृत के लिए चंडी पाठ करना सुरु कर दिया। ये बात पावन के माध्यम से इंद्रदेव ने श्रीराम तक पहुंचा दिया। इधर रावण ने मायावी बल से पूजा स्थल पर हवन सामग्री में से एक नील कमल फूल को गायब कर दिया जिसे श्री राम की पूजा रोकी जाय। श्री राम का संकल्प टूटता नजर आया। सभी को भय था की मां दुर्गा क्रोधित न हो जाय।
तभी श्री राम को याद आया कमलनयन को नवकंचलोचन भी कहा जाता है तभी उन्होंने आपने एक नेत्र को मां की पूजा में समर्पित करने की बात सोची। श्री राम ने जेसे ही तुदीर से आपने नेत्र निकालना चाहा तभी मां दुर्गा प्रगट हुए और माता ने कहा की वो पूजा से प्रसन्न हुई और विजयश्री का आशीर्वाद दिया।
दूसरी तरफ हनुमान भ्रामण बालक का रूप धारण कर वहा पॉच गई। पूजा कर रहें भ्रमणों से एक श्लोक “ज्यादेवीभूतेहरणी”
“हरणी” के स्थान पर “करणी” शब्द का उच्चारण कर दिया।
हरणी का अर्थ भक्त को पीड़ा करने होता है।
करणी का अर्थ पीड़ा डिनर वाली होता है।

इस मां दुर्गा नाराज हो गई और रावण का सर्वनाश होने का श्राप दिया।
इस कथा के अनुसार महिसासुर को उसकी उपासना से खुश होकर देवताओं ने विजय ने का प्रदान किया।
इस वरदान को पाकर महिषासुर ने दुरुपयोग करना सुरु कर दिया। उन्होंने नर्ग को स्वर्ग का द्वार तक विस्तारित कर दिया।
महिषासुर ने सूर्य, चंद्र, अग्नि, इंद्र, वायु, यम, वरुण और अन्य देवताओं के अधिकार भी छीन लिया। यह स्वर्ग लोक का मालिक बन गया। सभी देवताओं को महिषासुर के भय से पृथ्वी पर आना पड़ा।
तब महिषासुर के दुसाहश से क्रोधित होकर देवताओं मां दुर्गा की रचना की। महिषासुर का वध करने के लिए सभी देवताओं ने अस्त्र, शस्त्र मां दुर्गा को समर्पित किए। जिस वो बलवान हो गई और 9 दिन तक महिषासुर से संग्राम चला। अंत में महिषासुर का वध कर मां दुर्गा मर्दानी कहेलाई थी।
नवरात्री त्यौहार में दुर्गा पूजा क्यू करते हैं ?
नवरात्रि में दुर्गा पूजा अलग-अलग परदेशो में विभिन्न तरीकों मनाए जाती है कोलकाता में दुर्गा पूजा मनाए जाने वाली मसूर है। नवरात्री के दिनों में हर घरों में दुर्गा पूजा करते है और गांव, शहर में विशाल दुर्गामां की मूर्ती को शाम और सुबह पूजा करते हैं। पूरे देश भक्तिमय महोल में परिवर्तित हो जाता है।मंदिरों में श्रद्धालू भीड़ जम जाती है।
यह त्यौहार भारत के बाद बंगाल सबसे ज्यादा मनाया जाता है। बंगाल में नवरात्री में माता दुर्गा की पूजा करते हैं।

इस त्यौहार में वहा के लोगों भक्ति में लिंग हो जाते है। यह त्यौहार शरद पूर्णिमा में मनाया जाता है। ये त्यौहार सितंबर और अक्टूबर के बीच में आता है। इसी दौरान कालीमाता महिषासुर असुर का वध किया था। महिषासुर भेस के उपर सवारी करता था इसलिए कही जगह पर भेस की बलि चढ़ाई जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि महिषासुर का अंत कर दिया है। नवरात्रि के दौरान हर दिन अलग अलग माताजी की पूजा की जाती और रात को रास गरबा महोत्सव होते हैं। इस नवरात्री कही लोग उपवास भी करते है।